मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहिला महिना होता है. इस खास पर्व पर आजके लेख में muharram shayari दी जाएगी. आश्चर्य की तो यह बात हे ने इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम हिजरी सवंत का पहिला महिना है. परंतु इसके बावजूद भी, यह त्यौहार खुशीया में मनाने के बजाये यह त्यौहार मातम और शोक मनाने का है. इसके पीछे भी एक इतिहास है.

जरासल इस्लाम धर्म में किसी एक को मुस्लिम नेता यानि खलीफा चुनने का रिवाज रहा है. इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद पैगंबर के मरने के 50 वर्षो बाद रीती-रिवाज के तरह 4 प्रमुख नेताओ यानि खलीफा को चुना गया. परंतु यह बात इराक बादशाह “याजिद” बिल्कुंल मानने को तैयार नहीं था. वो तो पुरे इस्लाम धर्म का प्रमुख बनना चाहता था. अपने इस ख्वाईश में उसने स्वयं को ही खलीफा घोषित कर दिया.
बादमे याजिद ने अवाम पर अत्याचार करना शुरू किये. उनको खौफ दिखाना शुरू कर दिया. वह पुरे अरब पर कब्ज़ा करने की मंशा कर रहा था. जो की मोह्हमद साहब के वारिस और नवासे “इमाम हुसैन” को बिलकुल मंजूर नहीं था. हुसैन ने याजिद के खिलाफ जंग छेड़ दी.
परंतु, सन 680 की बात है. जब याजिद ने कर्बला नामक स्थान(जो की आज सीरिया के नाम से जाना जाता है.) पर इमाम हुसैन पर हमला कर दिया. हमले के वक्त इमाम के साथ बीवी, बच्चे और साथी ऐसे कुल मिलाकर 72 लोग थे और याजिद 8000 सैन्य को लेकर आ गया था. परंतु, फिर भी उन 72 लोगो ने याजिद को कड़ी टक्कर देदी. परंतु, दुर्भाग्यवश उस युद्ध में इमाम हुसैन और उनके साथी शहीद हो गए.
जिस महीने में हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था वह मुहर्रम का ही महीना था. उस दिन 10 तारीख थी, जिसके बाद इस्लाम धर्म के लोगों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया. कुछ समय बितने के बाद में मुहर्रम का महीना गम और दुख के महीने में बदल गया. बाद में, मुहर्रम को इस्लाम के चार प्रमुख महीनो में स्थान दिया गया. वैसे देखा जाये तो मुहर्रम ताजिया के पीछे काफी लम्बा इतिहास छिपा है. अगर आपको इसके बारे में पठाना ही है. तो आप मुहर्रम क्या है? यह पढ़ सकते है. फ़िलहाल, इस लेख का उद्देश मुहर्रम शायरी है.
मुहर्रम शायरी – muharram Shayari In Hindi
◊◊ मुहर्रम पर शायरी ◊◊
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।।
◊◊ Muharram Shayari◊◊
जन्नत में तो जन्नत के हकदार ही जायेंगे,
कसम आल्लाह की अली के खुब्दार जायेंगे,
दर-ए-जन्नत पे खरी जेहरा कहती है,
जन्नत में मेरे लाल के अजादार जायेंगे।।
◊◊ मुहर्रम शायरी इन हिंदी ◊◊
कर्बला की शाहदत इस्लाम बन गई,
खून तो बहा था लेकिन हौशालो की उडान बन गई।।
◊◊ Muharram Shayari in Hindi ◊◊
न हिला पाया वो रब की मैहर को,
भले जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ,
वही था असली सच्चा पैगम्बर!
◊◊ इमाम हुसैन शायरी ◊◊
मुहर्रम उल हरम,
अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का,
निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का,
एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की,
सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का।।
◊◊ मोहरम ताजिया शायरी ◊◊
इमाम का होसला,
इस्लाम बना गया.
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़,
आवाम को धर्म सिखा गया।।
◊◊ कर्बला शायरी ◊◊
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।।
◊◊ मुहर्रम शेरो ओ शायरी ◊◊
आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,
ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे,
ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा,
सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।।
◊◊ मुहर्रम की शायरी ◊◊
दश्त ए बाला को अर्श का जीना बना दिया,
दश्त-ए-बाला को अर्श का ज़ीना बाना दिया,
जंगल को मुहम्मद का मदीना बन्ना दीया,
हर ज़र्रे को नजफ का नगीना बना दिया,
हुसैन तुम ने मरने को जीना बना दिया।।
◊◊ Muharram shayari Hindi◊◊
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला,
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।।
◊◊ Muharram Shayari Hindi me◊◊
तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए,
सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये,
सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल,
एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये।।
◊◊ Muharram Shayari 2020 ◊◊
कर्बला की उस जमी पर खून बहा,
कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखो से भरा था जहा,
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।।
◊◊ Muharram par Shayari ◊◊
शमशेर से मोला ने कहा चला मगर ऐसे,
हो ख़ैबर-ओ-खंडक मैं भी हाल चाल मगर ऐसे,
इस मेह्दान में रहे मौत की जाल थल मगर ऐसे,
इस दश्त मैं रहे खून की दलदल ऐसे,
तू जिस पे उत्तर गए मैं उस का वाली हूँ,
वोह सिर्फ अली था मैं हुसैन इब्न ए अली हूँ।।
Conclusion –
तो चलिए मित्रो इस तरह से आज के लेख में हमने, इमाम हुसैन और उनके 72 साथियो के कुर्बानी को याद करते हुये मुहर्रम शायरी देख लि है. में आशा करता हूँ, आपको Muharram Shayari in Hindi पसंद आई होगी. अगर हाँ तो तो अपने मित्रो के साथ यह मुहर्रम पर शायरी share कीजिये. ताकि इस्लाम धर्म के प्रति उन शहीदों के कुर्बानी को याद किया जा सके.
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बहुत ही बढ़िया जानकारी शेयर किया आपने
धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया शायरी शेर की आपने
धन्यवाद